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दिल मे दर्द,नज़रो मे एक बात छिपाये बैठे है,
तुम मिलोगे और जरुर मिलोगे.ये आस लगाये बैठे है |
जीवन कि गाड़ी को धक्का दे-दे कर चला रहे है हम |
हे ईश्वर! अल्लाह ! जीजस ! कब मिलोगे तुम ?
इस शरीर से सांसो को निकल दो,
इस नश्वर शरीर के अंग अंग को तार दो |
अपनी खुली बाहों से हमे स्वीकाल लो
अपने मानसपटल पर हमारी छवि उतर लो |
अपनी शरण मे हमे स्थान दो
हे ईश्वर इस पापी और मतलबी जगत से हमे उबार दो|
मेरा तन,मन,धन,सब तेरा है
मेरे रोम रोम मे तेरा बसेरा है |
तुम्हारे अमृत के प्यासे है हम
हे ईश्वर ! अल्लाह ! जीसस कब मिलोगे तुम ?
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